लेखनी प्रतियोगिता -19-Jun-2022 - पिता
मंच को नमन 🙏
उम्मीद और विश्वास का नाम पिता,
मंझधार में पतवार बनता पिता ।
गिरने लगे बच्चें तो संभालता पिता ,
अंगुली पकड़ चलना सिखाता पिता।
बेटी का अभिमान उसका पिता,
बेटे का अस्तित्व उसका पिता।
चुनौतियों से लड़ना सिखाता पिता ,
बच्चों को शिक्षा दिलाता पिता ।
कठोर होकर भी तरुवर सा होता पिता ,
गुस्से में भी प्यार छलकाता पिता ।
बच्चों की खातिर सबकुछ करता पिता ,
आंसुओं को रोकता हाथ बढ़ाकर पिता ।
झुकना न पड़े कहीं, काबिल बनाता पिता ,
परेशान देख अंदर ही अंदर घुटता पिता ।
परवाह बच्चों की सदा ही करता पिता,
नीम सा कड़वा तो लगता पिता,
पर नारियल सा मीठा होता पिता ।
दिल में सारे गमों को छुपाता पिता ,
आस बच्चों को हमेशा बंधाता पिता ।
दुनियादारी से वाकिफ कराता पिता,
अपने अरमानों को दबाता पिता।
जीवन पूरा सुखमय बनाता पिता ,
आशा जगाकर हौसला दिलाता पिता ।
अनुशासन में रहना सिखाता पिता ,
उनके निवालें खातिर चिंता मग्न रहता पिता ।
बच्चों के लिए भगवान होता पिता,
परिवार की आन और शान होता पिता ।।
शिखा अरोरा (दिल्ली)
Seema Priyadarshini sahay
22-Jun-2022 11:40 AM
बहुत खूबसूरत
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Pallavi
21-Jun-2022 05:24 PM
Nice post 😊
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Punam verma
20-Jun-2022 11:25 AM
Nice
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